
ब्यूरो रिपोर्ट रविशंकर मिश्रा
चंदौली जनपद में जैसे ही पंचायत चुनाव की आहट सुनाई देने लगी है, वैसे ही क्षेत्र में राजनीतिक हलचल भी तेज हो गई है। बीते चार वर्षों तक जिन नेताजी लोगों का नामोनिशान तक क्षेत्र में नहीं दिखा, वे अब अचानक मेंढक की तरह बरसात में बाहर निकलने लगे हैं। गली-मोहल्लों से लेकर गांव-देहात तक राजनीतिक गतिविधियां सक्रिय हो गई हैं।
लोगों के सुख-दुख में वर्षों से अनुपस्थित रहे नेता अब अचानक सभाएं कर रहे हैं, चाय की दुकानों पर रुक रहे हैं, जनसंपर्क कर रहे हैं और विकास के बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं। यही नहीं, कई स्थानों पर सांस्कृतिक और सामाजिक कार्यक्रमों में भी नेताजी लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं, ताकि जनता से फिर से जुड़ाव बनाया जा सके।
सरकार ने भी पंचायत चुनाव को लेकर तैयारियाँ तेज कर दी हैं। चुनाव आयोग से लेकर जिला प्रशासन तक सभी स्तरों पर प्रक्रियाएँ प्रारंभ हो चुकी हैं। मतदाता सूची के पुनरीक्षण से लेकर आरक्षण निर्धारण तक की प्रक्रिया चल रही है। माना जा रहा है कि आगामी महीनों में चुनाव की अधिसूचना जारी हो सकती है।
चुनाव केवल पंचायत स्तर पर नहीं, बल्कि इसका असर जनपद की राजनीति से लेकर प्रदेश और यहां तक कि केंद्र की राजनीति तक महसूस किया जाता है। ग्राम पंचायतों से लेकर जिला पंचायत तक के प्रतिनिधियों का चुनाव, आगे चलकर विधानसभा और लोकसभा चुनावों की नींव तैयार करता है। यही कारण है कि हर राजनीतिक दल इस चुनाव को गंभीरता से ले रहा है।
जनता भी अब जागरूक हो चुकी है। वह नेताजी के झूठे वादों और चुनावी दिखावे को पहचानने लगी है। इसलिए इस बार का पंचायत चुनाव पहले से कहीं अधिक रोचक, प्रतिस्पर्धी और निर्णायक होने वाला है। चंदौली में जो माहौल बन रहा है, वह साफ संकेत दे रहा है कि चुनावी रण अब बस शुरू ही होने वाला है।